तम्हा उ वज्जए इत्थी,
विसलित्तं व कंटगं नच्चा
विसलित्तं व कंटगं नच्चा
विषलिप्त कॉंटे की तरह जानकर ब्रह्मचारी स्त्री का त्याग करे
विषलिप्त कॉंटे की तरह जानकर ब्रह्मचारी स्त्री का त्याग करे
वैरी वैर करता है और तब उसी में रस लेता है
बालप्रज्ञ (अज्ञ) दूसरे मनुष्यों को चिढ़ाता है
अज्ञ पापों पर घमण्ड करता है
किसी के साथ वैर-विरोध मत करो
सूक्ष्म शल्य बड़ी कठिनाई से निकाला जा सकता है
अधिक समय तक एवं अमर्याद न बोलें
मुनि कभी मर्यादा से अधिक न हँसे
सन्मार्ग का तिरस्कार करके अल्प सुख (विषयसुख) के लिए अनन्त सुख (मोक्षसुख) का विनाश मत कीजिये
जो समय पर अपना काम कर लेते हैं, वे बाद में पछताते नहीं है