सूरोदये पासति चक्खुणेव
सूर्य के उदय होने पर भी आँख से ही देखा जा सकता है
सूर्य के उदय होने पर भी आँख से ही देखा जा सकता है
यथावसर संचित धन को तो अन्य व्यक्ति उड़ा लेते हैं और परिग्रही को अपने पापकर्मों का दुष्फल स्वयं भोगना पड़ता है
साधक कामी बनकर कामभोगों की कामना न करे| उपलब्ध को भी अनुपलब्ध समझे| प्राप्त भोगों पर भी उपेक्षा करे|
विषलिप्त कॉंटे की तरह जानकर ब्रह्मचारी स्त्री का त्याग करे
वैरी वैर करता है और तब उसी में रस लेता है
बालप्रज्ञ (अज्ञ) दूसरे मनुष्यों को चिढ़ाता है
अज्ञ पापों पर घमण्ड करता है
किसी के साथ वैर-विरोध मत करो
सूक्ष्म शल्य बड़ी कठिनाई से निकाला जा सकता है
अधिक समय तक एवं अमर्याद न बोलें