मदनसेना ! ऋतुस्त्राव-रजोदर्शन को मासिक-धर्म कहते हैं| स्वास्थ्य के लिये इस का मास के अंत में होना आवश्यक है| यदि मासिक-धर्म ठीक समय और बिना कष्ट के उचित मात्रा में न हो तो शीघ्र ही उसकी चिकित्सा करना चाहिये| इसमें संकोच और विलंब करना बड़ा घातक है| Continue reading “ऋतु (मासिक) धर्म का पालन” »
ऋतु (मासिक) धर्म का पालन
यह पुण्य से मिला है
उत्तम मां-बाप पुण्य से मिले हैं|
मानव का देह पुण्य से मिला है| Continue reading “यह पुण्य से मिला है” »
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मन क्या है?
इसे न तो तुम्हारी तेज आँखे देख सकती हैं न हाथ ही उसे अपने आधीन रख सकते हैं| मन का न कोई रुप है, न रंग, न आकार| वह विचित्र है, सब देखता है, सब सुनता है| हम जिस शक्ति द्वारा सुख-दु:ख का अनुभव करते हैं उसी अदृश्य शक्ति का नाम है मन| Continue reading “मन क्या है?” »
इन शब्दों को न भूलो
1. मृदु स्वभाव, सदा हँस कर बोलो|
2. माता-पिता, भाई-बहन, सास-ससुर, ननद-जेठानी आदि परिवार से प्रेम रखो|
3. परिश्रमी स्वभाव, कभी बेकार न रहना|
4. बड़ों की सेवा, उनका आदर, छोटों के प्रति स्नेह रखना| Continue reading “इन शब्दों को न भूलो” »
भगवान पार्श्वनाथ – मोरा पासजी हो लाल
श्री पार्श्वनाथ जिन स्तवन
(राग : राता जेवा फुलडाने)
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श्री हीर विजय सूरी
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