भोगी संसार में भटकता है और अभोगी मुक्त हो जाता है
अभोगी नहीं भटकता
Motivational Wallpaper #19
बीच में कहॉं ?
मज्झे तस्स कुओ सिया ?
जिसके आगे-पीछे न हो, उसके बीच में भी कैसे होगा?
विनय में स्थिर करें
आत्महितैषी साधक अपने को विनय में स्थिर करे
जीव विचार – गाथा 1
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आप स्वयं अपने मित्र है|
किं बहिया मित्तमिच्छसि
हे पुरुष ! तू स्वयं ही अपना मित्र है| अन्य बाहर के मित्रों की चाह क्यों रखता है ?
क्रोध – एक अग्नि
एकबार आये हुए क्रोध में कितने सालों के तप और संयम को भस्मीभूत करने की ताकात है ? यदि कोई ऐसा प्रश्न करें, तो जवाब यह है कि- तप और संयम का उत्कृष्ट काल है देशोन पूर्व क्रोड वर्ष| इतने दीर्घ कालमें तप और संयम की जो साधना कर सकते हैं, उस साधना को भस्मीभूत करने की ताकत एकबार के आये हुए क्रोध में है| Continue reading “क्रोध – एक अग्नि” »
दूसरा और तीसरा अवतार
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