Love your parents. We are so busy growing up, we often forget they are also growing old.Unknown
Quote #13
समय को पहचानिये
अणभिक्कंतं च वयं संपेहाए,
खणं जाणाहि पंडिए
खणं जाणाहि पंडिए
हे बुद्धिमान साधक! अवशिष्ट आयु को देखते हुए समय को पहचान-अवसर का मूल्य समझ
धर्मानुकूल आजीविका
धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति
सद्गृहस्थ धर्मानुकूल ही आजीविका करते हैं
सच्ची शिक्षा
अट्ठजुत्ताणि सिक्खिज्जा,
निरट्ठाणि उवज्जए
निरट्ठाणि उवज्जए
निरर्थक शिक्षा छोड़कर सार्थक शिक्षा ही ग्रहण करें
पूरण सुख शिवसद्मना
श्री श्रेयांश्नाथ जिन स्तवन
राग : परमातम पूरण कला…
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राग द्वेष का क्षय
रागस्स दोसस्स य संखएणं
एगंतसोक्खं समुवेइ मोक्खं
एगंतसोक्खं समुवेइ मोक्खं
राग-द्वेष के क्षय से जीव एकान्तसुखस्वरूप मोक्ष को प्राप्त करता है
राग द्वेष के कारण
रागस्स हेउं समणुमाहु,
दोसस्स हेउं अमणुमाहु
दोसस्स हेउं अमणुमाहु
मनोज्ञ शब्दादि राग के और अमनोज्ञ द्वेष के कारण कहे गये हैं
कोमल प्रशंसात्मक शब्द हमें अच्छे लगते हैं और कठोर निन्दात्मक शब्द बुरे| Continue reading “राग द्वेष के कारण” »
सद्गुण साधना
बाहाहिं सागरो चेव,
तरियव्वो गुणोदहिं
तरियव्वो गुणोदहिं
सद्गुण-साधना का कार्य भुजाओं से समुद्र तैरने के समान है