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Sixth Incarnation as Vajrajangha – Part 2

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भोगों का त्याग

भोगों का त्याग

उविच्च भोगा पुरिसं चयन्ति,
दुमं जहा खीणफलं व पक्खी

जैसे क्षीणफल वृक्ष को पक्षी छोड़ देते हैं, वैसे भोग क्षीणपुण्य पुरुष को छोड देते हैं

जब तक वृक्ष पर मधुर पके हुए फल होते हैं, तब तक दूर-दूर से पक्षी उसकी शाखाओं पर आ कर बैठते हैं और फलों का मन-चाहा उपभोग करते हैं; परन्तु जब सारे फल समाप्त हो जाते हैं और ऋतु बदल जाने से नये फल उत्प होने की सम्भावना नहीं रहती, तब सारे पक्षी उसे छोड़कर अन्यत्र चले जाते हैं| Continue reading “भोगों का त्याग” »

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Sixth Incarnation as Vajrajangha – Part 1

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बच्चों से संभाषण कैसे करें

बच्चों से संभाषण कैसे करें
बच्चों को आरंभिक संभाषण का वरदान माता-पिता से ही प्राप्त होता है| बच्चे बड़ों की बात सुन कर ही, बहुत कुछ सीखते हैं| अतएव जब आप उनसे बात करें, उन्हें खिलौना न समझकर एक व्यक्ति समझे| बच्चों में तर्क बुद्धि नहीं होती| वे अपने बड़े बूढ़ों की बात को ही सच समझते हैं| सुनी सुनाई बातों पर वे विश्वास कर लेते हैं|

बच्चों से बातचीत करते समय उसकी समझ तथा जानकारी का ध्यान अवश्य रखें| छोटे वाक्य, सरल भाषा तथा परिचित विषय चुनने चाहिए| बच्चे आपकी बोल-चाल की भाषा ही समझ सकते हैं|

बच्चों से बात-चीत करते समय जोर जोर से हंसना, धमका कर या चिल्लाकर बोलना, हंसी मजाक में अशिष्ट गन्दे शब्दों का प्रयोग, हाथ-मुँह बनाकर बातें करना आदि ढंग बुरे हैं| बच्चे इन दुर्गुणों की झट नकल कर लेते है| बात-चीत में दोष आ जाने से बच्चों का व्यक्तित्व प्रभाव-हीन हो जाता है| जल्दी-जल्दी बोलना कुछ तकिया कलाम यथा-समझे न, ‘हां तो’, ‘क्या समझे’, बड़े आये, ठीक है बड़े अच्छे, ठा पड़ी, कई नाम जो, आदि निरर्थक शब्दों का प्रयोग बच्चे सुन सुन कर ही सीख जाते है| इसी प्रकार हाथ हिला-हिला बात करना, मुँह फुलाना, आँखे झपकाना, कचर-कचर जल्दी-जल्दी कतरनी सी जीभ चलाना आदि दोष भी बच्चों मे देखा-देखी ही आ जाते हैं| अत: बच्चों के साथ माता-पिता को बड़ी ही सावधानी से संभाषण करना चाहिए|

यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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निशदिन जोवुं वाटडी

Listen to निशदिन जोवुं वाटडी

निशदिन जोवुं वाटडी घर आवो रे ढोला,
मुज सरिखी तुज लाख हैमेरे तू ही ममोला.

…निशदिन.१

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मनडुं हाथन आवे हो, पद्म प्रभ!

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श्री पद्मप्रभु जिन स्तवन
राग : मनडुं किम हि न बाजे हो कुंथुजिन…
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इच्छाशक्ति का मंत्र

इच्छाशक्ति का मंत्र
1. मेरे गर्भ में एक ऐसा जीवन पनप रहा है, जो कि महान् आत्मा होगा, उसके जीवन से लाखों का उपकार होगा, वह राष्ट्र और समाज का चमकता चांद होगा|

2. मेरी संतान गौर वर्ण, कमल नयन, अति सुन्दर, हृष्ट-पुष्ट, तेजस्वी और संयमी होगी| मेरा लाल आनन्दी, प्रसन्न मन और दृढ संकल्प का आदर्श नररत्न होगा| Continue reading “इच्छाशक्ति का मंत्र” »

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Quote #3

I’m not a body with a soul. I’m soul with a visible part called body.
Unknown
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शील सुरंगीरे सुलसा महासती

Listen to शील सुरंगीरे सुलसा महासती

राग : अरणीक मुनिवर चाल्या गोचरी
भाव : सुलसा महासतीना समकित-समता शील नी सुगंध

शील सुरंगीरे सुलसा महासती,
वर समकित गुण धारीजी;
राजगृही पूरे नाग रथिक तणी,
सुलसा नामे नारीजी.

…शी.१

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