अदीनभाव से रहो
बंभसारे वनमां भमतां
राग : नवो वेष रचे
भाव : जीवननी अनाथता नो परिचय ने श्रेणीक ने अनाथी मुनिनो सद्बोध
बंभसारे वनमां भमतां,
ऋषी दीठो रयवाडी रमतां;
रुप देखीने मने रीझयो,
भारे करमी पण भदज्यो.
कलावती की कलाईयों का छेदन किया गया
कलावती रानी पूर्वभवमें तोते के दोनों पंख को काटकर खुश हई थी, उसकी आलोचना नहीं ली| उसके बाद क्रम से तोते का जीव राजा बना, उसकी रानी कलावती बनी| एक दिन अचानक रानी के हाथ में कंकण (हाथ के आभूषण) पहने हुए देखकर दासीने पूछा कि, ‘‘ये कहॉं से आये?’’ रानी ने जवाब दिया, ‘‘जो हमेशा मेरे मनमें रहता है और जिसके मन में सदा मैं रहती हूं, रात-दिन जिसे मैं भूला नहीं पाती, जिसको देखने से मेरे हर्ष का कोई पार नहीं होता, उसने ये भेजे हैं|’’ Continue reading “कलावती की कलाईयों का छेदन किया गया” »
सच्चा साधक
हमेशा दूसरों की अच्छाइयॉं देखो
परमात्मा का उपकार न भूलो
Motivational Wallpaper #16
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अनुभव ! तुं है हितु हमारो
अनुभव ! तुं है हितु हमारो,
आय उपाय करो चतुराई, और को संग निवारो,
अनुभव ! तुं है हितु हमारो