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मुक्त कौन है ?

मुक्त कौन है ?

विमुत्ता हु ते जणा, जे जणा पारगामिणो

जो जन (कामनाओं को) पार कर गये हैं, वे सचमुच ही मुक्त हैं

बन्धन ! कितना बुरा शब्द है यह ? कौन पसन्द करता है इसे ? कौन फँसना चाहता है इसमें ? कोई नहीं| Continue reading “मुक्त कौन है ?” »

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कामों की कामना

कामों की कामना

कामी कामे न कामए, लद्धे वा वि अलद्ध कण्हुइ

साधक कामी बनकर कामभोगों की कामना न करे| उपलब्ध को भी अनुपलब्ध समझे| प्राप्त भोगों पर भी उपेक्षा करे|

काम-भोगों का त्याग कर के जो प्रवृजित हो जाते हैं – दीक्षित हो जाते हैं, उन्हें फिर से कामुक बनकर कामभोगों की कामना कभी नहीं करनी चाहिये और न उनकी प्राप्ति के लिए कोई प्रयत्न ही करना चाहिये| Continue reading “कामों की कामना” »

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Founding of Vidyadhara Cities

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भगवान पार्श्वनाथ – दीक्षा कल्याणक

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चार पुत्र

चार पुत्र

चत्तारि सुता-अतिजाते,
अणुजाते, अवजाते, कुलिंगाले

पुत्र चार प्रकार के होते हैं – अतिजात, अनुजात, अवजात और कुलांगार

कुछ पुत्र ऐसे होते हैं, जो गुणों में अपने पिताजी से भी आगे बढ़ जाते हैं, उन्हें ‘अतिजात सुत’ कहा जाता है| Continue reading “चार पुत्र” »

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Eleventh Incarnation as Vajranabha

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Quote #9

Nearly all men can stand adversity, but if you want to test a man's character, give him power.
Abraham Lincoln
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एक मुज विनती निसुणोज़

Listen to एक मुज विनती निसुणोज़

श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिन स्तवन

मुनिसुव्रत जिनराय,
एक मुज विनती निसुणोज़
आतमतत्त्व क्युं जाणुं जगद्गुरु,
एह विचार मुज कहीयो;
आतमतत्त्व जाण्या विण निरमल,
चित्तसमाधि नवि लहियो

…कुं.१

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न बद्ध, न मुक्त

न बद्ध, न मुक्त

कुसले पुण नो बद्धे, नो मुत्ते

कुशल पुरुष न बद्ध होता है, न मुक्त

कुशल पुरुष का वर्णन यहॉं आलंकारिक भाषा में किया गया है| जो बद्ध है, वह मुक्त नहीं हो सकता और जो मुक्त है, वह बद्ध नहीं हो सकता | व्यक्ति या तो बद्ध होगा या फिर मुक्त| वह दोनों एक साथ नहीं हो सकता| Continue reading “न बद्ध, न मुक्त” »

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