“कर्तव्य पहला – अमारि प्रवर्तन”
धर्मका मूल दया है -
तुलसी दया न छोड़ीये, जब लग घटमें प्राण||
जब दया जीवनकर्तव्य है, तब पर्युषण का तो महाकर्तव्य बनता ही है| इसे प्रथम नंबर का कर्तव्य समझना, क्योंकि दयासे अपना हृदय मृदु-कोमल बनता है और कोमल हृदयमें दूसरे सभी धर्म अच्छी तरह से बास कर सकते हैं| भूमि को जोतकर मुलायम बनायी हो, तो ही उसमें बीज को बोया जा सकता है| इसलिए यहॉं पर्युषणमें दया-अमारि प्रवर्तन का पहला कर्तव्य पालन करके हृदयको कोमल-मुलायम सा बनाना है, जिससे उसमें साधर्मिक भक्ति, क्षमापना, त्याग, तपश्चर्यादि धर्मो को बोया जा सके| Continue reading “पर्युषण महापर्व – कर्तव्य पहला” »