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अप्काय को पहचानो

अप्काय को पहचानो
कच्चे पानी की प्रत्येक बूंद में असंख्य अप्काय एकेन्द्रिय जीव रहते हैं| इसलिए पानी का फालतू, जरूरत से ज्यादा व निरर्थक उपयोग तो करना ही नहीं चाहिए| Continue reading “अप्काय को पहचानो” »

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Wallpaper #2

He who conquers himself through himself, will obtain happiness

Standard Screen Widescreen
1024×768 1440×900
1600×1200 1920×1080

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Social service is true celebration

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मूर्त्त या अमूर्त्त

मूर्त्त या अमूर्त्त

नो इन्दियग्गेज्झ अमुत्तभावा,
अमुत्तभावा वि य होइ निच्चं

आत्मा आदि अमूर्त्त तत्त्व इन्द्रियग्राह्य नहीं होते और जो अमूर्त्त होते हैं, वे नित्य भी होते हैं

यथार्थ तत्त्वों के ज्ञाता जानते हैं कि पदार्थ दो प्रकार के होते हैं – मूर्त्त और अमूर्त्त, साकार और निराकार या प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष| Continue reading “मूर्त्त या अमूर्त्त” »

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Motivational Wallpaper #8

सार्थक जीवन के चार तत्त्व हैं – प्रेम, सेवा, आनंद और आदर्शवादिता

Standard Screen Widescreen Mobile
800×600 1280×720 iPhone
1024×768 1280×800 iPad-Horizontal
1400×1050 1440×900
1600×1200 1920×1080  
  1920×1200  
  2560×1440  
  2560×1600  

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समय पर पूरा कीजिये

समय पर पूरा कीजिये

जेहिं काले परक्कंतं,
न पच्छा परितप्पए

जो समय पर अपना काम कर लेते हैं, वे बाद में पछताते नहीं है

जो आलस्यवश अपना कर्त्तव्य समय पर पूरा नही करते, वे बाद में पछताते हैं, परन्तु उससे लाभ क्या? जिसे पौधे को सूखने से पहले सिंचित नहीं किया, उसके लिए बाद में बैठे-बैठे पछताने से क्या वह हराभरा हो जायेगा? कभी नहीं| Continue reading “समय पर पूरा कीजिये” »

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साधर्मिक भक्ति – साल का दूसरा कर्तव्य

साधर्मिक भक्ति   साल का दूसरा कर्तव्य
प्रभु के शासन में साधर्मिक के प्रति सद्भावका इतना महत्व है कि यह एक ही कर्तव्यको पर्युषणके पॉंच कर्तव्यों में और वार्षिक ग्यारह कर्तव्यों में यानी कि दोनोंमें स्थान प्राप्त हुआ है| श्री संभवनाथ भगवानने पूर्वके तृतीय भवमें साधर्मिक भक्ति करके तीर्थंकर बनने की भूमिका को प्राप्त की थी| Continue reading “साधर्मिक भक्ति – साल का दूसरा कर्तव्य” »

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अखरोट का पौधा

अखरोट का पौधा

परोपकारः पुण्याय
फारस में एक बादशाह बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन बादशाह जंगल में शिकार खेलने जा रहा था, रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| Continue reading “अखरोट का पौधा” »

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बोलने की विधि

बोलने की विधि

नापुट्ठो वागरे किं चि,
पुट्ठो, वा नालियं वए

बिना पूछे कुछ भी नहीं बोलना चाहिये और पूछे जाने पर भी असत्य नहीं बोलना चाहिये

अभिमान ही ज्ञान का अजीर्ण है| जिन्हें ज्ञान के साथ अभिमान भी होता है, समझना चाहिये कि उनको अभी ज्ञान पचा नहीं है| Continue reading “बोलने की विधि” »

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महाराज कुमारपाल

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