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Motivational Wallpaper #21

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय
औरन को शीतल करै, आपहुँ शीतल होय

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शस्त्र या अशस्त्र ?

शस्त्र या अशस्त्र ?

अत्थि सत्थं परेण परं|
नत्थि असत्थं परेण परं||

शस्त्र एक से एक बढ़कर हैं, परन्तु अशस्त्र (अहिंसा) एक से एक बढ़कर नहीं है

इस दुनिया में हिंसा के साधन अनेक हैं और वे एक से एक बढ़कर हैं| तलवार, भाला, तीर, बन्दूक, तोप, बम और परमाणुबम (हाइड्रोजन बम) क्रमशः भयंकर से भयंकर संहारक अस्त्र हैं| यदि राष्ट्रों की आँखों से स्वार्थान्धता की पट्टी न हटी; तो भविष्य में और भी भयंकर शस्त्रों के निर्माण की सम्भावना है| Continue reading “शस्त्र या अशस्त्र ?” »

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साहस – जीवन का मूल गुण

साहस   जीवन का मूल गुण
जीवन एक युद्ध है, और उसमें विजयी बनने के लिए साहस एक अमोघ अस्त्र है| दुर्बल और भीरु मानव कभी भी प्रगति के द्वार नहीं छू सकता| जीवन की उन्नति, प्रगति और उच्चतम विकास के लिए साहस मूल आधार है| Continue reading “साहस – जीवन का मूल गुण” »

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महाबाल के रूप में चौथा अवतार

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जीवन क्षणभंगुर है

जीवन क्षणभंगुर है

असंखयं जीवियं मा पमायए
इस जगत में सब क्षणभंगुर है; अगर प्यार खोजना हो तो शाश्‍वत में खोजो| यहां कुछ अपना नहीं है| यहां भरमो मत, अपने को भरमाओ मत, भरमाओ मत ! यहां सब छूट जानेवाला है| यहां मृत्यु ही मृत्यु फैली है| यह मरघट है| यहां बसने के इरादे मत करो| यहां कोई कभी बसा नहीं| Continue reading “जीवन क्षणभंगुर है” »

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न अपनी आशातना करो न दूसरों की

न अपनी आशातना करो न दूसरों की

नो अत्ताणं आसाएज्जा, नो परं आसाएज्जा

न अपनी आशातना करो, न दूसरों की

जो लोग हीन-मनोवृत्ति के शिकार होते हैं – अपने को तुच्छतम समझते हैं, वे इस दुनिया में उन्नति नहीं कर सकते | उनमें अपना विकास करने का – प्रगतिपथ पर आगे बढ़ने का साहस तक नहीं हो सकता – जीवनभर वे अपने को अक्षम ही समझते रहते हैं और अक्षम ही बने रहते हैं| Continue reading “न अपनी आशातना करो न दूसरों की” »

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Refutation of the Carvaka System

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बुरी संगत

बुरी संगत
पवन के पिता जी बड़े परेशान थे| कुछ दिनों से पवन बुरी संगत में पड़ गया था| अंत में उन्हें एक युक्ति सूझी| वे बाजार से कुछ आम खरीद कर लाए| सब आम तो पके हुए और बढ़िया थे, पर एक आम काफी सड़ा हुआ था| Continue reading “बुरी संगत” »

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सूक्ष्म शल्य

सूक्ष्म शल्य

सुहुमे सल्ले दुरुद्धरे

सूक्ष्म शल्य बड़ी कठिनाई से निकाला जा सकता है

जो लोग पैदल चलते हैं, उन्हें मार्ग में कॉंटे चुभ जायें तो वे क्या करते हैं? दूसरे कॉंटे से अथवा सूई से निकाल लेते हैं| यद्यपि कॉंटा निकल जाने पर भी वेदना बनी रहती है, फिर भी कुछ समय बाद मिट जाती है और कुछ दिन बाद तो उसका छेद भी गायब हो जाता है| चमड़ीसे चमड़ी मिल जाती है| Continue reading “सूक्ष्म शल्य” »

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श्री अजितनाथजी की चरण पादुकाएँ

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