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ज्ञान की रोशनी

ज्ञान की रोशनी

नमो नमो नाणदिवायरस्स
ज्ञान की रोशनी में मेरा जीवन-पथ आलोकित हो…ज्ञान को रोशनी से मार्ग के कॉंटें दृष्टिगोचर हो…मुझे अब भीतर जाना है| Continue reading “ज्ञान की रोशनी” »

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देखण दे रे, सखी!

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श्री चंद्रप्रभ जिन स्तवन
राग : केदारो तथा गोडी – ‘‘कुमारी रोवे, आक्रंद करे, मु कोई मुकावे…’’ ए देशी

देखण दे रे, सखी!
मुने देखण दे, चंद्रप्रभ मुखचंद,
उपशमरसनो कंद, सखी.
गत कलि-मल-दु:खदंद..

…सखी.१

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प्रायश्‍चित की ताकत

प्रायश्‍चित की ताकत
केन्सर की गॉंठ हो, फिर भी ऑपरेशन कीया जाए, तो मरीज़ अच्छा हो जाता है| परंतु जो एक छोटा-सा भी कॉंटा पॉंव में रह जाये, तो इंसान को मार डालता हैं| इसी प्रकार बड़े-बड़े पाप जीवन में हो गये हो, तो भी प्रायश्‍चित-आलोचना के प्रताप से जीव धवल हंस के पंख की तरह निर्मल बन सकता है| Continue reading “प्रायश्‍चित की ताकत” »

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अंजनासुन्दरी

अंजनासुन्दरी
एक राजा की दो पत्नियॉं थी| लक्ष्मीवती और कनकोदरी| लक्ष्मीवती रानी ने अरिहंत-परमात्मा की रत्नजड़ित मूर्त्ति बनवाकर अपने गृहचैत्य में उसकी स्थापना की| वह उसकी पूजा-भक्ति में सदा तल्लीन रहने लगी| उसकी भक्ति की सर्वत्र प्रशंसा होने लगी| ‘‘धन्य है रानी लक्ष्मीवती को, दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय|’’ यह रानी तो सुख में भी प्रभु सुमिरन करती हैंै, धन्य है !!’ Continue reading “अंजनासुन्दरी” »

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जीवन का निर्माण

जीवन का निर्माण
जन्म का प्रारम्भ तो सभी का एक जैसा होता है लेकिन अन्त एक जैसा नहीं होता| सुबह तो सभी की एक सी है पर शाम भिन्न-भिन्न है| Continue reading “जीवन का निर्माण” »

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दोहृद (दोहला) का फल

दोहृद (दोहला) का फल
कल्पसूत्र में सिद्धार्थ त्रिशला के जिस दोहृद (इच्छा) को पूर्ण न कर सके थे, उसे पूर्ण करने के लिए स्वयं इन्द्र महाराज को हार खाकर इन्द्राणी के कुण्डल देने पड़े थे|

कर्मणा-चोदितं जन्तोर्भवितव्यं पुनर्भवेत्|
यथा तथा दैवयोगा-द्दोहृदं जनयेत् हृदि
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अपरिग्रह

अपरिग्रह

मुच्छा परिग्गहो वुत्तो
किसी भी वस्तु के प्रति मूर्च्छा का भाव ही परिग्रह है| मूर्च्छा परिग्रह है| परिग्रह का अर्थ है संग्रह और अपरिग्रह का अर्थ है त्याग| किसी वस्तु का अनावश्यक संग्रह न करके उसका जन-कल्याण हेतु वितरण कर देना| परिग्रह मनुष्य को अहंकार एवं मोहरूपी अँधेरे के अथाह भंवर में डुबो देने वाला होता है| धन की परिग्रहवृत्ति काम, क्रोध, मान और लोभ की उद्भाविका है| Continue reading “अपरिग्रह” »

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क्षमा-याचना के अवसर पर

क्षमा याचना के अवसर पर

१) खुदको ही अपराधी मानना…दोनों को नहीं|
२) मनसे अपने अपराधों का स्वीकार करना|
३) अपनी भूलके कारण जिसको सहना पड़ा है, उसकी उदारता और सहनशक्ति की प्रशंसा करना|
४) ‘‘फिरसे ऐसी भूल नहीं होगी’’ ऐसे मानसिक संकल्प के साथ उस तरह का वचन देना|
५) जिसके पास क्षमा-याचना करते हो वह शायद तिरस्कार करे या फिटकार दे, तब भी स्वस्थ रहना चाहिए और बिचार करना कि मेरी भूलके कारण उसका दिल कितना जख्मी हुआ होगा कि दिलमें लगी हुई चोट के कारण मुझे इतना धिक्कार दे रहे हैं| अरे ! मैंने कैसा दुष्कृत किया|
६) उस समय या बादमें दूसरा कोई आपकी क्षमा मांगने की हिंमत को दाद दे और ‘फिर भी क्षमा देनेवाले ने कैसा तिरस्कार किया’ कहकर उसकी निंदा करे, तब उसे वास्तविकता बताकर खुले दिलसे ईकरार करना की ‘भाई ! मैंने निर्मम बनकर मेरे अपराधोंसे उनके दिलको जो ठेस पहुंचाई है, उसके सामने यह तिरस्कार बहुत ही सामान्य, गिनती में लेने लायक नहीं है|’ ऐसे बिचारों से मनको क्षमामय बना दें| Continue reading “क्षमा-याचना के अवसर पर” »

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दुःख और तृष्णा

दुःख और तृष्णा

दुक्खं हयं जस्स न होइ मोहो,
मोहो हओ जस्स न होइ तण्हा

जिसमें मोह नहीं होता, उसका दुःख नष्ट हो जाता है और जिसमें तृष्णा नहीं होती उसका मोह नष्ट हो जाता है

तृष्णा बड़े-बड़े धैर्यशालियों के भी छक्के छुड़ा देती है – आँख वालों को भी अन्धा बना देती है, अन्धेरी रात में आँखवालों को जिस प्रकार पास में पड़ी हुई वस्तु भी दिखाई नहीं देती, उसी प्रकार तृष्णाग्रस्त व्यक्ति को अपने पास रही हुई सम्पत्ति भी दिखाई नहीं देती और वह अधिक से अधिक सम्पत्ति पाने की कोशिश में लगा रहता है – जीवन भर घानी के बैल की तरह परिश्रम करता रहता है| Continue reading “दुःख और तृष्णा” »

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पर्युषण महापर्व – दूसरा दिन

पर्युषण महापर्व   दूसरा दिन

पर्वाणि सन्ति प्रोक्तानि, बहूनि श्री जिनागमे,
पर्युषणा समं नान्यत्, कर्मणां मर्मभेदकृत्|
जैनशासन में छः अट्ठाईयॉं बताई गई हैं| कार्तिक-फाल्गुन-आषाढ़ की तीन चौमासी अट्ठाई, चैत्र-आश्विन मास की नवपद की शाश्वती ओली की दो अट्ठाई और पर्युषण पर्व की एक अट्ठाई| प्रायः पर्युषण के समय पर सूर्य-सिंह राशि का अपने घरमें-स्वग्रही होता है| पर्युषण के शुभारंभ में मनका कारक चंद्र भी प्रायः कर्कराशी में यानी कि अपने घरमें होता है| Continue reading “पर्युषण महापर्व – दूसरा दिन” »

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