नो निह्नवेज्ज वीरियं
वीर्य को छिपाना नहीं चाहिये
जो बुद्धिमान हैं, उन्हें अपनी बुद्धि का उपयोग दूसरों के झगड़े मिटाने में करना चाहिये| Continue reading “वीर्यको न छिपायें” »
वीर्य को छिपाना नहीं चाहिये
जो बुद्धिमान हैं, उन्हें अपनी बुद्धि का उपयोग दूसरों के झगड़े मिटाने में करना चाहिये| Continue reading “वीर्यको न छिपायें” »
आन्तरिक विकारों से ही युद्ध कर, बाह्य युद्ध से तुझे क्या लाभ?
हाथी और कुन्थु में समान ही जीव होता है
मनुष्य में विद्यमान गुण भी चार कारणों से नष्ट हो जाते हैं – क्रोध, ईर्ष्या, अकृतज्ञता और मिथ्या आग्रह
संयम और तप से आत्मा को भावित (पवित्र) करता हुआ साधक विहार करता है
मृत्यु किसी भी समय आ सकती है
डरना नहीं चाहिये| भीत के निकट भय शीघ्र आते हैं
कोई किसी दूसरे के दुःख को बाँट नहीं सकता
बुद्धिमान को कभी उपहास नहीं करना चाहिये
धर्म द्वीप है, प्रतिष्ठा है, गति है और उत्तम शरण है