भासियव्वं हियं सच्चं
हितकर सच्ची बात कहनी चाहिये
हितकर सच्ची बात कहनी चाहिये
चढ़ाई के मार्ग में बूढे बैलों की तरह साधनामार्ग की कठिनाई में अज्ञ लोग खि होते हैं
जो एक अपने को नमा लेता है; वह बहुतों को नमा लेता है
अध्ययन किये गये वेद रक्षा नहीं कर सकते
तपश्चरण तलवार की धार पर चलने के समान दुष्कर है
सुव्रती व्यक्ति कम खाये, कम पीये और कम बोले
लोभ सब कुछ नष्ट कर देता है
जो खा-पीकर आराम से सोता है, वह पापश्रमण कहलाता है
असंवृत मनुष्य मोहित हो जाते हैं
वही वीर प्रशंसनीय बनता है, जो बद्ध को प्रतिमुक्त करता है