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सहिष्णुता
प्रिय हो या अप्रिय-सबको समभाव से सहना चाहिये
पर्युषण महापर्व – कर्तव्य दूसरा
कर्तव्य दूसरा – साधर्मिक भक्ति
द्वितीय कर्त्तव्य… साधर्मिक भक्ति ‘‘मेरा सो मेरा ही’’ ऐसी स्वार्थ वृत्ति को दूर करता है| बुद्धिनिधान अभयकुमार नामक साधर्मिक ने कालसौरिक कसाइर्२ के पुत्र सुलस को जैनधर्म-अहिंसा की प्रेरणा देकर हिंसक धंधे से दूर होने के लिए जोर-बल दिया था| मृत्यु के समय भाई के प्रति द्वेष रखने के कारण नरकमें जाकर संसार वनमें भटकने के लिए तैयार युगबाहु को पत्नी मदनरेखाने कल्याणमित्र की भूमिका बजा कर-सच्चा रिश्ता साधर्मिक का इस बात को सिद्ध करके… भाई के प्रति वैरभाव से जो असमाधि उत्पन्न हुई थी, उसको दूर करके सद्गति दिलाई और संसारमें भटकने से बचा लिया था| Continue reading “पर्युषण महापर्व – कर्तव्य दूसरा” »
आत्मविजय
अपने को जीतने पर सबको जीत लिया जाता है
Childhood of Lord Rishabhdev
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Wallpaper #7
Motivational Wallpaper #7
दीक्षा किसे कहते हैं?
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अप्रमत्त या प्रमत्त
सव्वओ अप्पमत्तस्स नत्थि भयं
मत्त को सब ओर से भय रहता है, किन्तु अप्रमत्त को किसी भी ओर से भय नहीं रहता