श्री पद्मप्रभु जिन स्तवन
राग : सुण चंदाजी…
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हो अविनाशी
श्री शांतिनाथ की चरण पादुकाएँ
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Motivational Wallpaper #20
प्रसव विज्ञान
स्त्री को साहित्य, विज्ञान और दर्शन जानने की उतनी आवश्यकता नहीं है, जितनी कि उसे सु-माता बनने की रीति जानने की| जिस जाति में सुमाताओं की संख्या अधिक है, वह जाति उतनी ही उत्तम और श्रेष्ठ है| मानव जीवन के निर्माण में माता का विशेष हाथ रहता है| मॉं का पुत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है| यह जानना हो तो प्रसिद्ध महापुरुषों के जीवन चरित्र पढ़िये| Continue reading “प्रसव विज्ञान” »
मोह और दुःख
अनन्त संसार में मूढ बहुशः लुप्त (नष्ट) होते हैं
समय का सदुपयोग
मैत्री करो
प्राणियों से मैत्री करो
अभिनंदन जिन! दरिसण तरसीए
श्री अभिनंदन जिन स्तवन
राग : धन्यासिरि-सिंधुओ – “आज निहेजो रे दीसे नाईलो रे…’’ ए देशी
अभिनंदन जिन! दरिसण तरसीए,
दरिसण दुरलभ देव;
मत मत भेदे रे जो जई पूछीए,
सहु थापे अहमेव.