बालो पापेहिं मिज्जति
अज्ञ पापों पर घमण्ड करता है
बहुत से व्यक्ति भूल से या जानबूझ कर भी किसी परिस्थिति के कारण विवशता से पाप करते हैं परन्तु करने के बाद मन-ही-मन उससे लज्जित होते हैं – पछताते हैं| फिर कभी पाप न करने का संकल्प करते हैं| कृत पापों का दण्ड मिलने पर प्रसन्नता पूर्वक उसे सहते हैं|
भूल को जो भूल मान लेता है – अपने पापों को छिपाता नहीं है, स्वीकार कर लेता है, उसके जीवन का सुधार सम्भव है| वह धीरे-धीरे पवित्रात्मा बन सकता है|
परन्तु कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो भूल को भूल नहीं मानते; अपराध करके भी उसका औचित्य सिद्ध करने की कोशीश करते हैं, दूसरों को धोखा देते हैं – ठगते हैं और उसे अपनी वीरता समझते हैं| अपने पापों के लिए जिन्हें गर्व होता है, वे अज्ञ हैं|
- सूत्रकृतांग सूत्र 1/2/2/21
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