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सादि सान्त

सादि सान्त

सरीरं सादियं सनिधणं

शरीर सादि है और सान्त भी

इस जगत् के समस्त पदार्थ इन चार विभागों में विभाजित किये जा सकते हैं :-
1) अनादि अनन्त
2) अनादि सान्त
3) सादि अनन्त
4) सादि सान्त
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जान कर बोलें

जान कर बोलें

जमट्ठं तु न जाणेज्जा, एवमेयंति नो वए

जिसके विषय में पूरी जानकारी न हो, उसके विषय में ‘‘यह ऐसा ही है’’ ऐसी बात न कहें

जिस विषय में हमें पूरी जानकारी न हो, उस विषय में निश्‍चय पूर्वक कोई बात नहीं कहनी चाहिये, अन्यथा सुनने वालों को जब अन्य स्त्रोतों से यथार्थ ज्ञान हो जायेगा, तब हमारी स्थिति उपहासास्पद बन जायेगी| लोग हम पर विश्‍वास ही नहीं करेंगे| Continue reading “जान कर बोलें” »

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Story of Sagarcandra, Priyadarsana and Asokadatta

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Motivational Wallpaper #41

संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है और न शत्रु,
तुम्हारे अपने विचार ही शत्रु और मित्र बनाने के लिए उत्तरदायी हैं

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मुखरता से बचें

मुखरता से बचें

मोहरिए सच्चवयणस्स पलिमत्थू

मुखरता सत्यवचन का विघाता करती है

अधिक बोलने वाले के पेट में कोई बात टिक नहीं पाती – मुखरता को इसीलिए त्याज्य माना गया है| इसे त्याज्य मानने का एक कारण और भी है – सत्य वचन का विघात| Continue reading “मुखरता से बचें” »

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Motivational Wallpaper #37

जीवन में कामयाबी के पीछे नहीं काबिलीयत के पीछे दौड़िये

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Motivational Wallpaper #49

आभूषणों से स्त्रियाँ नहीं सजती,
वह सजती हैं अपने गुणों से,
अपने मन की निर्मलता से,
अपने स्वभाव की पवित्रता से

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चार श्रावक

चार श्रावक

चत्तारि समणोवासगा-अद्दागसमाणे,
पडागसमाणे, ठाणुसमाणे, खरकंटगसमाणे

श्रमणोपासक चार प्रकार के होते हैं – दर्पण के समान (स्वच्छ हृदय वाले), पताका के समान (चञ्चल हृदय वाले), स्थाणु के समान (दुराग्रही) और तीक्ष्ण कण्टक के समान (कटुभाषी)

श्रमणों के प्रति श्रद्धा रखने वाले – उनकी उपासना करने वाले श्रमणोपासक या श्रावक कहलाते हैं| Continue reading “चार श्रावक” »

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इच्छानिरोध

इच्छानिरोध

छंदं निरोहेण उवेइ मोक्खं

इच्छाओं को रोकने से ही मोक्ष प्राप्त होता है

इच्छाएँ अनन्त हैं| एक इच्छा को पूरी करें; तो दूसरी पैदा हो जाती है| फिर दूसरी के बाद तीसरी, तीसरी के बाद चौथी और चौथी के बाद पॉंचवी अर्थात् एक के बाद एक इच्छा उत्पन्न होती ही रहती है | प्राणी उसकी पूर्ति को लिए दौड़धूप करता ही रहता है और एक दिन अन्तिम सॉंस छोड देता है| Continue reading “इच्छानिरोध” »

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Motivational Wallpaper #45

रुकना न तुम जब तक तुम्हारे श्वास का लवलेश है, हिम्मत न हारो ऐ ह्रदय यह साधना का देश है

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