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In this life only

In this life only

इहलोगे सुचिण्णा कम्मा
इहलोगे सुहफल विवाग संजुत्ता भवन्ति

In this world, good deeds done here, yield good results here only

One who donates and does not boasts, he gets fame; people call him benevolent. His magnanimity is praised everywhere.

One who conducts himself well, who nurtures no bad habits, who is able to restrain his mind, body and speech, does not slander anyone, who respects others, does not insult anyone, remains happy and renders help to the needy, that person is known as a gentleman and is respected everywhere.

One, who endures the hardships, is detached, undergoes many types of penances, people call him Sadhu (tapasvi) and pay him regards.

Thus, good deeds earn respect, regard and praise in this life itself.

- Sthananga Sutra 4/2

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  1. दिलीप पारेख
    Mar 15, 2015 #

    मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिव रज: / मधु धीरस्तु न: पिता //
    [ऋग्वेद १/९०/७ ]

    भावार्थ : संसारमें ऐसे कार्यो करना चाहिए, जिसके कारण हरेकको सुख, शांति और प्रसन्नता प्राप्त हो.

    सन्देश : मनुष्यजीवनकी स्थिरता और प्रगतिकी नीँव उसकी कर्तव्यपरायणता है. यदि हम हमारी जिम्मेदारीओके प्रति उदासीन रहेंगे तथा कर्तव्योंकी उपेक्षा करेंगे तो हमारे मार्गमें इतने सारे अवरोध उत्पन्न होगे और हमारा जीना मुश्केल हो जाएगा. हमारी चारों ओर क्लेश और कंकास दिखेंगे. जीवनकी सिद्धि-सफलताका आधार कर्तव्यपरायणता पर टिका हुआ है. प्रत्येक सिद्धिकी स्थिरता और सुरक्षा कर्तव्यनिष्ठा पर ही आधारित है. हमें जो शरीर मिला है उसे निरोगी, पुष्ट तथा दीर्घजीवी रखनेकी जिम्मेदारी हमारी स्वयंकी है. साधन अच्छा रहेगा तो हमें सुविधा रहेगी, वैसे ही देह निरोगी होगा तो लोककल्याणके काम कर पाएंगे औए सर्वत्र सुख, शांति तथा प्रसन्नताका वातावरण बना सकेंगे. मनको समर्थ और श्रेष्ठ बनाने के लिए हमें उल्लास, उत्साह, धैर्य, साहस, संतोष, संतुलन, स्थिरता, एकाग्रता, विश्वास जैसे सद्गुणों को अर्जित करने होगें. यदि मनको मनमानी करनेवाला, स्वछंदता से भरा बना दिया तो वह हमारा दुश्मन बन जाएगा. मनको सावधान और व्यक्तित्वको संस्कारी बनानेकी जिम्मेदारी प्रत्येक मनुष्यकी है.

    पारिवारिक जीवनके लाभ अनुपम है, परन्तु वे तभी शक्य होगे जब परिवारकी प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारीका यथायोग्य निर्वाह करे. सबकी तंदुरस्ती, सुविधा, विद्या तथा विकासके लिए पुरे मनसे, सावचेतीसे और ईमानदारीसे प्रयास करे. हमारी संतानों को सुसंस्कारी और सुव्यवस्थित बनानेके लिए उन्हें स्नेह-प्रेम और सहयोग देनेकी हमारी जिम्मेदारी हमें ही निभानी चाहिए. कुटुम्बका आनंद केवल कर्तव्यपरायण लोग ही ले सकते है.

    समाजके प्रत्येक नागरिक पर कुछ कर्तव्य और जिम्मेदारी है. सभ्य और सुसंस्कृत समाजका प्रत्येक नागरिक अपनी नैतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी प्रति सजाग और सचेत रहेता है; उस देश-राष्ट्रकी प्रतिष्ठा बढ़ती है. समाजमें विचार, वातावरण और पर्यावरणकी शुद्धता बनी रहे यह प्रत्येक मनुष्यका कर्तव्य है. सामूहिक उत्कर्षमें जो जितना योगदान दे और लोककल्याणके कामों में जितना त्याग करे, उतना ही वह श्रेष्ठ माना जाएगा.
    समाजमें चारों ओर सुखशांति का वातावरण रहे तथा सभी प्रगतिके पथ पर सरलतासे बढ़ सके इसीलिए हम सब अपने कर्तव्योंको भलीभांति समजे. परमात्माने दिए कर्तव्यों का पालन करके हम अपने मानवजीवन को सार्थक बनाने का प्रयत्न करते रहे.

    ॐ.

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