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चोत्रीश अतिशयवंत

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भाव : दान धर्म…ना बधाज मुख्य प्रकारनी समजण

चोत्रीश अतिशयवंत,
समवसणे बेसी हो जगगुरु;
उपदेशे अरिहंत,
दानतणा गुण हो पहेले सुखकरू.

…१

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में कीनो नहीं तुम बीन और शुं

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श्री सुविधिनाथ जिन स्तवन
राग : भजोरी प्यारो नमिजीणंद.. (भीमपलाश)
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सुविधि जिनेसर पाय नमीने

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श्री सुविधिनाथ जिन स्तवन
राग : केदारो – ‘‘एम धन्नो धणने परचावे रे…’’ ए देशी

सुविधि जिनेसर पाय नमीने, शुभ करणी एम कीजे रे;
अति घणो ऊलट अंग धरीने, प्रह ऊठी पूजीजे रे.

…सुविधि.१

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अवधू ! आज सुहागन नारी

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आज सुहागन नारी अवधू ! आज सुहागन नारी,
मेरे नाथ आप सुध लीनी कीनी निज अंगचारी.

…सुहा.१

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निशदिन जोवुं वाटडी

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निशदिन जोवुं वाटडी घर आवो रे ढोला,
मुज सरिखी तुज लाख हैमेरे तू ही ममोला.

…निशदिन.१

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मनडुं हाथन आवे हो, पद्म प्रभ!

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श्री पद्मप्रभु जिन स्तवन
राग : मनडुं किम हि न बाजे हो कुंथुजिन…
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शील सुरंगीरे सुलसा महासती

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राग : अरणीक मुनिवर चाल्या गोचरी
भाव : सुलसा महासतीना समकित-समता शील नी सुगंध

शील सुरंगीरे सुलसा महासती,
वर समकित गुण धारीजी;
राजगृही पूरे नाग रथिक तणी,
सुलसा नामे नारीजी.

…शी.१

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हो अविनाशी

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श्री पद्मप्रभु जिन स्तवन
राग : सुण चंदाजी…
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