राग : गझल
भाव : आत्मा एक सोनुं बाकी बधु माटी… माटे आत्मा दशानी शोधनो संदेश
बनी मिट्टीकी सब बाजी, उसीमें होत क्यों राजी
मिट्टी का है शरीर तेरा, मिट्टीका कपडा पहेरा;
मिट्टी का म्हेल रहा छाजी, उसीमें होत क्यों राजी.
राग : गझल
भाव : आत्मा एक सोनुं बाकी बधु माटी… माटे आत्मा दशानी शोधनो संदेश
बनी मिट्टीकी सब बाजी, उसीमें होत क्यों राजी
मिट्टी का है शरीर तेरा, मिट्टीका कपडा पहेरा;
मिट्टी का म्हेल रहा छाजी, उसीमें होत क्यों राजी.
राग : कित गुण भयो है उदासी बिहाग
भाव : विषय विलास = आत्म विनाश एना त्यागनी पावन प्रेरणा
मत बन विषय विलासी रे मनवा,
ए जबरी जग फांसी. रे मनवा.
हतस्त हरिण मच्छ भ्रमर पतंग,
एक एक विषयना आशी.
भाव : महासती सीतानो रावणने पडकार ने शील दृढता
जनक सुता हुं नाम धरावुं,
राम छे अंतर जामी;
पालव मारो मेलोने पापी,
कुळने लागे छे खामी.
अडशो मांजो, मांजो मांजो मांजो मांजो अडशो,
म्हारो नावलीयो दुहवाय,
मने संग केनो न सुहाय;
म्हारुं मन मांहेथी अकळाय.
श्री श्रेयांश्नाथ जिन स्तवन
राग : परमातम पूरण कला…
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भाव : जैनो नी परिभाषाने अने साचा जैनत्वने समजावतु वर्णन
जैन कहो क्युं होवे, परमगुरु!
जैन कहो क्युं होवे
गुरु उपदेश बिना जन मूढा,
दर्शन जैन विगोवे.
राग : लख्युं होय ते थाय भविष्यमां सजनवा वैरी हो गइ हमार
भाव : कर्मसत्तानी अमाप ताकात अने ए ताकातने पडकारती धर्मसत्ता
करवुं होय ते थाय करमने करवुं होय ते थाय;
जीवे जाच्युं काम न आवे,
धार्युं निरर्थक जाय.
राग : गुरु बिन कौन बतावे वाट वागेश्वरी
भाव : विषय लगन नी चाह ने मिटाववा माटे नु दर्दभर्यु ब्यान
विषयकी कैसे कटे मोरी चाह,
करती यह फनाह.
पांच ईन्द्रियो पोषे इसको,
मन हैं ईसका नाह.
राग : धनाश्री
भाव : जगद्गुरु हीर सूरिजी म. सा. नुं जीवन वृत्तांत
श्री हीरसूरि गुरुराय,
हमारा हीरसूरि गुरुराय
प्रणमुं प्रभावक पाय,
हमारा हीरसूरि गुरुराय
भाव : ३ वर्षना बालमुनि वज्रस्वामी ने एमना जीवन नी अद्भुत कहानी
सांभळजो तुमे अद्भुत वातो,
वयर कुंवर मुनिवरनी रे;
षट् महिनाना गुरु झोळीमां,
आवे केलि करंता रे,
त्रण वरसना साधवी मुखथी,
अंग अगीयार भणंता रे.
भाव : दान धर्म…ना बधाज मुख्य प्रकारनी समजण
चोत्रीश अतिशयवंत,
समवसणे बेसी हो जगगुरु;
उपदेशे अरिहंत,
दानतणा गुण हो पहेले सुखकरू.