क्षमापना से प्रसन्नता के भाव उत्पन्न होते हैं
अपराधी को तो इसलिए प्रसन्नता होगी कि वह दण्ड से बच गया और अपराध्य (जिसका अपराध किया गया है, उस व्यक्ति) को इसलिए प्रसन्नता होगी कि अपराधी को क्षमा करके उसने अपराधी के हृदय में अपनी उदारता की छाप लगा दी है – अपराधी को अपना मित्र बना लिया है – उसे सुधार दिया है या सुधरने के लिए एक अवसर और दे दिया है|
यदि क्षमा पानेवाला सुधर गया; तो जीवनभर क्षमा करनेवाले का उपकार मानेगा – जहॉं कहीं भी रहेगा, क्षमाकर्त्ता की प्रशंसा करेगा – उसके प्रति कृतज्ञ रहेगा – विनीत रहेगा और अपने इस उचित व्यवहार से क्षमाकर्त्ता को इस बात की प्रेरणा देगा कि वह उसके समान अन्य अपराधियों को भी क्षमा करे – इस प्रकार क्षमापना से जो प्रसन्नता के भाव उत्पन्न होते हैं, उनका लाभ उठाना चाहिये|
- उत्तराध्ययन सूत्र 26/17
No comments yet.
Leave a comment