निग्धिणो, निसंसो, महब्भभओ
प्राणवध चण्ड है, रौद्र है, क्षुद्र है, अनार्य है, करुणारहित है, क्रूर है, भयंकर है
इसके अतिरिक्त यह रौद्र है| ध्यान चार प्रकार के माने गये हैं – आर्त्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान और शुक्लध्यान | इनमें से पहले दो अप्रशस्त हैं और अन्तिम दो प्रशस्त | इनमें से रौद्रध्यान नामक अप्रशस्त ध्यान करनेवाला व्यक्ति ही प्राणवध करता है| अतःप्राणवध रौद्र माना गया है |
फिर क्षुद्र (तुच्छ) व्यक्ति ही हिंसा के लिए प्रवृत्त होते हैं, इसलिए प्राणवध को क्षुद्र कहा गया है| आर्य लोग ऐसा कार्य नहीं करते; इसलिए उसे अनार्य भी कहते हैं| निष्करुण व्यक्ति ही क्रूरतापूर्वक प्राणों की हिंसा करते हैं; अतः प्राणवध करुणारहित है – क्रूर है|
इससे प्राणियों के मन में बहुत बड़े भय का संचार होता है और वे वध का दृश्य देखकर कॉंपने लगते हैं; इसलिए वह महान भयंकर है| इस प्रकार समझाया गया है कि प्राणवध कैसा है?
- प्रश्नव्याकरण 1/1
No comments yet.
Leave a comment