कुद्धा हणंति, लुद्धा हणंति, मुद्धा हणंति
क्रुद्धा लुब्ध और मुग्ध हिंसा करते हैं
पहला कारण है – क्रोध| यह एक भयंकर आवेग है| इस आवेग में मनुष्य भान भूल जाता है – उसकी आँखें लाल लाल हो जाती हैं – उसकी भुजाएँ फड़कने लगती हैं और वह मारपीट करने उतारू हो जाता है|
दूसरा कारण है – लोभ| आर्थिक लाभ उठाने की आशा पैदा हो जाये; तो भी मनुष्य हिंसा करने के लिए उद्यत हो जाता है|
तीसरा कारण है – मोह| यह एक मधुर विष है| ममता के कारण भी व्यक्ति अन्धा हो जाता है और जिसके प्रति उसकी ममता जागृत हो जाती है, उसे सुख पहुँचाने के लिए वह पक्षपात करता है – दूसरों के साथ अन्याय करता है – दूसरों पर अत्याचार करता है – प्राणियों की हिंसा करता है|
कहने का आशय यह है कि क्रोध, लोभ और मोह – ये तीन ही है हिंसा के कारण|
- प्रश्नव्याकरण 1/1
I have now got an answer which i was finding for several years.
Thanx