राग : कित गुण भयो है उदासी बिहाग
भाव : विषय विलास = आत्म विनाश एना त्यागनी पावन प्रेरणा
मत बन विषय विलासी रे मनवा,
ए जबरी जग फांसी. रे मनवा.
हतस्त हरिण मच्छ भ्रमर पतंग,
एक एक विषयना आशी.
…रे म.१
दीन बनी मृत्यु दु:ख पामे,
शोच जरा पंच आशी.
…रे म.२
उस फांसीमें एक मरण है,
ईसमें अनन्ती राशी.
…रे म.३
तप्तस्तंभ तुज नरकपुरीके,
कैसे भाइ सुहासी.
…रे म.४
थोडे दिनमें ए भोग तुजको,
त्यागी अलगे जासी.
…रे म.५
मगर इससे पाप भये है,
वे नहि अलगे थासी.
…रे म.६
घोर दु:ख आतमको दे कर,
फिर होवेंगे विनाशी.
…रे म.७
आत्म कमलको शुद्ध बनाके,
हो लब्धि शिववासी.
…रे म.८
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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