१) भयंकर गर्मी की ऋतु में प्यास लगने पर भी रात्रि में पानी नहीं पीते|
२) वे काष्ट, लकड़ी, मिट्टी के पात्र ही उपयोग में लेते हैं| स्टील या अन्य धातु के बर्तन काम में नहीं लेते|
३) वे चार महीने तक, वर्षावास में एक स्थान पर स्थिर रहते हैं और शेष समय जिनाज्ञा अनुसार परिभ्रमण करते हैं| Continue reading “जैन साधु के विशिष्ट नियम” »