नमो नमो नाणदिवायरस्स
मुझे ऐसी ज्ञान की रोशनी चाहिए जो मुझे मेरी मंजिल तक साथ देती रहे…जिससे मैं सहजता से प्रतिकूलता का स्वीकार और दुःखों को स्वागत कर सकूँ…स्वस्थ मन से, निराकुल चित्त से, मैत्री पूर्ण हृदय से समाधान खोज सकूँ…|
ज्ञान के अभाव में मैंने पर द्रव्यों को अपना द्रव्य मानने की भूल की है… पर भावों को अपने भाव मानने की भूल की है| ज्ञान ने मेरे जीवन को अमृतमय बनाया… मेरे हृदय-भवन में उजाला किया… मुझे यह बोध कराया कि मैं एक विशुद्ध आत्म-द्रव्य हूँ|
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
Jai jinendra.I regret that I do not have facility to type in Hindi by my computer. Michhami Dukkadam. Well, I will try to express my views in English. Gyan is the inherent quality of the Soul. Gyan n Soul are one and the same.It is not to be obtained but the attachment with the outer world which is of matter (pudgal)is to be reckoned and get rid of that attachment. Gyan ka abhav nahinhain. Mithyatva ko chhodna hai. One has neither to accept nor reject the circumstances through which one is passing, it may be of any kind, either favourable or unfavourable. They are the states of mind.They are to be simply observed without any mental link.