उसके एक मित्र ने व्यंग किया, ‘‘तू वकील तो लगता ही नही एक उजाड़ देहाती जरूर लगता है, ऐसे में वकालत कैसे चलेगी ?’’ उसने कहा, ‘‘चले या न चले मैं केवल पोशाक में विश्वास नही करता| मेरा तो विश्वास एक बात में हैं कि मैं झूठा मुकदमा नही लडूंगा|’’ इसलिए वह अपने मुवक्किल से पहले पूछता, ‘‘तुने गलती की है या तुम्हें फंसाया गया है ?’’ जब मुवक्किल कहता, फंसाया गया है, तब वह मुकदमा लड़ता|
जानते हो वह नवयुवक कौन था ? वह युवक था अब्राहम लिंकन, जो तीस साल की अवधि में कई बार हारने के बावजूद निराश नहीं हुआ और अपने पुरुषार्थ के बल पर ५२ वर्ष की आयु में अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया|
जवाहर लाल नेहरु ने कहा है, सफलता उसके पास आती है जो साहस करते हैं और बोध से कार्य करते है| यह उन कायरों के पास बहुत कम आती है जो परिणामों पर विचार करके ही भयभीत बने रहते हैं|
पुरूषार्थ से मोक्षमार्ग की ओर बढ़ा जा सकता है.