निरट्ठाणि उवज्जए
निरर्थक शिक्षा छोड़कर सार्थक शिक्षा ही ग्रहण करें
शिक्षा भी केवल शिक्षा के लिए नहीं, बल्कि कल्याण के लिए होनी चाहिये| निरर्थक शिक्षा ग्रहण करना समय को नष्ट करना है| जो लोग शिक्षा का कोई उद्देश्य नहीं मानते, वे सब तरह की शिक्षा ग्रहण करते रहते हैं और विभिन्न विषयों पर ध्यान विभाजित होते रहने से वे किसी भी विषय में निष्णात नहीं हो पाते | इसके विपरीत शिक्षा को जो लोग आत्मकल्याण के लिए ग्रहण करते हैं, वे केवल उतने ही विषय सीखने का प्रयास करते हैं, जो अपने उद्देश्य के लिए उपयोगी हों| इस प्रकार वे अपने सीमित विषयों में पूर्ण निष्णात होकर स्वपरकल्याण में जीवन लगा देते हैं|
ज्ञानियों के अनुसार निरर्थक (निरुद्देश्य) शिक्षा छोड़कर हमें केवल सार्थक शिक्षा ही ग्रहण करनी चाहिये; क्योंकि वही सच्ची शिक्षा है|
- उत्तराध्ययन सूत्र 1/8
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