सुव्रती व्यक्ति कम खाये, कम पीये और कम बोले
स्वाद के वश में होकर जो खाने-पीने में संयम नहीं रख पाते, उनको बीमारी का शिकार होना पड़ता है| बीमारी के कारण उनकी शक्ति क्षीण हो जाती है – शरीर निर्बल हो जाता है| निर्बल शरीर पर रोगों का आक्रमण शीघ्र होता है| अतः एक के बाद एक कोई-न-कोई बीमारी उनके शरीर में बनी ही रहती है| जीवनभर ऐसे लोग चिकित्सा के चक्कर में पड़कर डाक्टरों के बिल चुकाते रहते हैं; परन्तु रसनेन्द्रिय को वश में रखने की छोटी-सी बात उनके ध्यान में ही नहीं आती|
इसी प्रकार बोलने में भी संयम की बड़ी आवश्यकता होती है| अधिक बोलनेवाले के पेट में कोई बात टिक नहीं पाती और कभी-कभी रहस्य खुल जाने से बड़े-बड़े अनर्थ हो जाते हैं| संयमी व्यक्ति सदा सोच-समझकर नपे तुले शब्दों में ही अपनी बात कहते हैं|
इस प्रकार सुव्रती रसना (जीभ) पर पूरा अंकुश रखते हैं|
- सूत्रकृतांग सूत्र 1/8/25
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