बालजणो पगभई
अज्ञ अभिमान करते हैं
ज्ञान ऐसा समुद्र है कि उसमें जितनी गहरी डुबकी लगाओ, वह उतना ही अधिक गहरा मालूम होता है| अतः ज्ञान का कोई व्यक्ति घमण्ड नहीं कर सकता| घमण्ड वैसे भी बुरा है – एक कषाय है – आत्मा को कलुषित करने वाला है; फिर अन्य वस्तुओं के घमण्ड की अपेक्षा ज्ञान का घमंड तो और भी बुरा है, क्यों कि ज्ञान के घमण्ड से आत्मा का पतन शीघ्र होता है|
यह सदा स्मरणीय है कि ज्ञान एक पवित्र वस्तु है और अभिमान अपवित्र; इसलिए जिसे अभिमान का ज्ञान होता है, वह ज्ञान का अभिमान नहीं कर सकता|
जो व्यक्ति ज्ञान का जितना अधिक अभिमान करता है, वह उतना ही अधिक अनभिज्ञ है – अज्ञ है| ज्ञानियों का कथन है कि बालजन या अज्ञजन ही अपने आपको बहुत बड़ा समझते हैं – अभिमान करते हैं|
- सूत्रकृतांग सूत्र 1/11/2
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