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अभयदान

अभयदान

दाणाण सेट्ठं अभयप्पयाणं

अभयदान श्रेष्ठ दान है

आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो दूसरों को दिया जाता है, वह ‘दान’ है| आवश्यकताएँ अनेक प्रकार की हैं, इसलिए दान भी अनेक प्रकार का होता है|

अदान, जलदान, वस्त्रदान, शयनदान, आसनदान, आश्रयदान आदि| प्राचीनकाल से प्रसिद्ध दानों के अतिरिक्त कुछ आधुनिक दान भी हैं, जैसे श्रमदान (महात्मा गांधी द्वारा चलाया हुआ) भूदान, सम्पत्तिदान (ये दोनों सन्त विनोबा द्वारा चलाये गये हैं) आदि|

परन्तु सबसे अधिक आवश्यक तत्त्व जीवन है| जल में डूबता हुआ या आग में झुलसता हुआ अथवा प्राणान्तक प्रहारों से घबराया हुआ प्राणी सबसे पहले जीवित रहना चाहता है, इसलिए शरणदान या प्राणदान सर्व श्रेष्ठ है| पाकिस्तान के बर्बर अत्याचारों से व्याकुल हो कर भागे हुए बांगलादेश के लगभग एक करोड़ विस्थापितों को भारत ने शरणदान किया | शरणदान से शरणार्थी निर्भय हो जाते हैं, इसलिए इसे ‘अभयदान’ भी कहते हैं|

- सूत्रकृतांग सूत्र 1/6/23

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