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हिंसा के कारण

हिंसा के कारण

कुद्धा हणंति, लुद्धा हणंति, मुद्धा हणंति

क्रुद्धा लुब्ध और मुग्ध हिंसा करते हैं

प्रमादवश प्राणियों के प्राणों को चोट पहुँचाना हिंसा है| हिंसा से सदा दूसरों को दुःख होता है| मनुष्य क्यों दूसरों को दुःख देता है? क्यों हिंसा करता है? इस पर विचार करके ज्ञानियों ने तीन कारण बतलाये हैं|

पहला कारण है – क्रोध| यह एक भयंकर आवेग है| इस आवेग में मनुष्य भान भूल जाता है – उसकी आँखें लाल लाल हो जाती हैं – उसकी भुजाएँ फड़कने लगती हैं और वह मारपीट करने उतारू हो जाता है|

दूसरा कारण है – लोभ| आर्थिक लाभ उठाने की आशा पैदा हो जाये; तो भी मनुष्य हिंसा करने के लिए उद्यत हो जाता है|

तीसरा कारण है – मोह| यह एक मधुर विष है| ममता के कारण भी व्यक्ति अन्धा हो जाता है और जिसके प्रति उसकी ममता जागृत हो जाती है, उसे सुख पहुँचाने के लिए वह पक्षपात करता है – दूसरों के साथ अन्याय करता है – दूसरों पर अत्याचार करता है – प्राणियों की हिंसा करता है|

कहने का आशय यह है कि क्रोध, लोभ और मोह – ये तीन ही है हिंसा के कारण|

- प्रश्‍नव्याकरण 1/1

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1 Comment

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  1. Prashant sanghvi
    मार्च 25, 2014 #

    I have now got an answer which i was finding for several years.

    Thanx

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