हाथी और कुन्थु में समान ही जीव होता है
त्रिकाल त्रिलोक में कभी कहीं जीव अजीव न हुआ, न होता है और न होगा; इसलिए जीव-जीव सब समान हैं|
प्रश्न यह उठता है कि यदि जीव सब समान ही हैं; तो जो जीव कुत्ते में है, वही मेंढक में कैसे रह सकता है? जो जीव घोड़े में है, वह बकरी में कैसे रह सकता है? जो जीव ऊँट में है, वह बिल्ली में केसे रह सकता है? आखिर जीव का परिमाण क्या है?
शास्त्रकारों ने जीव को शरीर के समान ही परिमाण वाला माना है| जो जीव जिस शरीर का आश्रय लेता है; वह उसीके परिमाणवाला बन जाता है| जो प्रकाश रात को दीपक से निकलता है, वह सारे कमरे में फैला हुआ दिखाई देता है; परन्तु एक मटका (घट) उस पर उलटा रख दिया जाय तो वह सारा ही प्रकाश मटके में समा जाता है| इसी प्रकार हाथी का जीव कुन्थु में समा जाता है|
- भगवती सूत्र 7/8
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