अत्थि सत्थं परेण परं|
नत्थि असत्थं परेण परं||
नत्थि असत्थं परेण परं||
शस्त्र एक से एक बढ़कर हैं, परन्तु अशस्त्र (अहिंसा) एक से एक बढ़कर नहीं है
इसके विपरीत अशस्त्र या अहिंसा का साधन एक ही है – दया| इस क्षेत्र में एक से एक बढ़कर साधन नहीं पाये जाते| शस्त्रों के प्रयोग में अशान्ति है – युद्ध है – क्रूरता है, परंतु अहिंसा में शान्ति है – सहयोग है – दयालुता है| हमें क्या ग्रहण करना चाहिये – शस्त्र या अशस्त्र? स्वयं सोचें|
- आचारांग सूत्र 1/3/4
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