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जनक सुता हुं नाम

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भाव : महासती सीतानो रावणने पडकार ने शील दृढता

जनक सुता हुं नाम धरावुं,
राम छे अंतर जामी;
पालव मारो मेलोने पापी,
कुळने लागे छे खामी.
अडशो मांजो, मांजो मांजो मांजो मांजो अडशो,
म्हारो नावलीयो दुहवाय,
मने संग केनो न सुहाय;
म्हारुं मन मांहेथी अकळाय.

…अ.१

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नाथ कहे तुं सुणने नारी

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भाव : नारी ने नारायणी बनावती हितशिक्षा

नाथ कहे तुं सुणने नारी, शिखामण छे सारी जी;
वचन ते सघळां वीणी लेशे, तेहना कारज सरशे, शाणी थइए ज.

…1

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पूरण सुख शिवसद्मना

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श्री श्रेयांश्नाथ जिन स्तवन
राग : परमातम पूरण कला…
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जैन कहो क्युं होवे

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भाव : जैनो नी परिभाषाने अने साचा जैनत्वने समजावतु वर्णन

जैन कहो क्युं होवे, परमगुरु!
जैन कहो क्युं होवे
गुरु उपदेश बिना जन मूढा,
दर्शन जैन विगोवे.

…परम.१

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सप्तम जिनवर सेवीए

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श्री सुपार्श्वनाथ जिन स्तवन
राग : दिलरंजन जीनराजजी…(ये जींदगी उसीकी है)
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करवुं होय ते थाय करमने

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राग : लख्युं होय ते थाय भविष्यमां सजनवा वैरी हो गइ हमार
भाव : कर्मसत्तानी अमाप ताकात अने ए ताकातने पडकारती धर्मसत्ता

करवुं होय ते थाय करमने करवुं होय ते थाय;
जीवे जाच्युं काम न आवे,
धार्युं निरर्थक जाय.

…करमने.१

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मनडुं किमही न बाजे

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श्री कुंथुनाथ जिन स्तवन

कुंथुजिन! मनडुं किमही न बाजे,
हो कुंथुजिन! मनडुं किमही न बाजे;
जिम जिम जतन करीने राखुं,
तिम तिम अलगुं भाजे हो

…कुं.१

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विषयकी कैसे कटे मोरी चाह

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राग : गुरु बिन कौन बतावे वाट वागेश्‍वरी
भाव : विषय लगन नी चाह ने मिटाववा माटे नु दर्दभर्यु ब्यान

विषयकी कैसे कटे मोरी चाह,
करती यह फनाह.
पांच ईन्द्रियो पोषे इसको,
मन हैं ईसका नाह.

…विषयकी.१

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मेरे प्रान आनन्दघन

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मेरे प्रान आनन्दघन तान आनन्दघन ॥ ए आंकणी॥
मात आनन्दघन, तात आनन्दघन
गात आनन्दघन, जात आनन्दघन

…मेरे.१

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श्री हीरसूरि गुरुराय

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राग : धनाश्री
भाव : जगद्गुरु हीर सूरिजी म. सा. नुं जीवन वृत्तांत

श्री हीरसूरि गुरुराय,
हमारा हीरसूरि गुरुराय
प्रणमुं प्रभावक पाय,
हमारा हीरसूरि गुरुराय

…हमारा.१

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