श्री सुविधिनाथ जिन स्तवन
राग : भजोरी प्यारो नमिजीणंद.. (भीमपलाश)
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में कीनो नहीं तुम बीन और शुं
सुविधि जिनेसर पाय नमीने
श्री सुविधिनाथ जिन स्तवन
राग : केदारो – ‘‘एम धन्नो धणने परचावे रे…’’ ए देशी
सुविधि जिनेसर पाय नमीने, शुभ करणी एम कीजे रे;
अति घणो ऊलट अंग धरीने, प्रह ऊठी पूजीजे रे.
…सुविधि.१