सुक्खं खु दीसइ तवोविसेसो,
न दीसई जाइविसेस कोई
न दीसई जाइविसेस कोई
तपविशेष तो प्रत्यक्ष दिखाई देता है, परन्तु कोई जातिविशेष नहीं दिखाई देता
तपविशेष तो प्रत्यक्ष दिखाई देता है, परन्तु कोई जातिविशेष नहीं दिखाई देता
लोभ का प्रसंग आने पर लोभी झूठ बोलने लगता है
लोभी और चञ्चल व्यक्ति झूठ बोला करता है
शरीर सादि है और सान्त भी
जिसके विषय में पूरी जानकारी न हो, उसके विषय में ‘‘यह ऐसा ही है’’ ऐसी बात न कहें
मुखरता सत्यवचन का विघाता करती है
श्रमणोपासक चार प्रकार के होते हैं – दर्पण के समान (स्वच्छ हृदय वाले), पताका के समान (चञ्चल हृदय वाले), स्थाणु के समान (दुराग्रही) और तीक्ष्ण कण्टक के समान (कटुभाषी)
इच्छाओं को रोकने से ही मोक्ष प्राप्त होता है