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प्राणवध कैसा है?

प्राणवध कैसा है?

पाणवहो चंडो रुद्दो, खुद्दो, अणारियो,
निग्धिणो, निसंसो, महब्भभओ

प्राणवध चण्ड है, रौद्र है, क्षुद्र है, अनार्य है, करुणारहित है, क्रूर है, भयंकर है

प्राणवध का अर्थ है – प्राणों की हिंसा, प्राणों का नाश| इसका स्वरूप प्रकट करते हुए अथवा इसका परिचय देते हुए ज्ञानियों ने कहा है :- प्राणवध बड़ा ही प्रचण्ड है-उग्र है-असह्य है; क्योंकि इसे कोई सह नहीं सकता| Continue reading “प्राणवध कैसा है?” »

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लोभ और चंचलता

लोभ और चंचलता

लद्धो लोलो भणेज्ज अलियं

लोभी और चञ्चल व्यक्ति झूठ बोला करता है

जो वस्तु जैसी है, उसे वैसी न कहना अयथार्थ वचन है – झूठी बात है| झूठ कौन बोलता है ? इस प्रश्‍न का उत्तर देते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति लोभी होता है, वह अपनी तृष्णा तो तृप्त करने के लिए झूठ बोलता है| तृष्णा कभी तृप्त नहीं होती – यह एक वास्तविकता है; परन्तु लोभी इस वास्तविकता से अनभिज्ञ बना रह कर जीवनभर तृष्णा-तृप्ति का प्रयास करता ही रहता है| इस प्रयास में उसे कभी सफलता नहीं मिलती; फिर भी वह निरन्तर इसके लिए दौड़धूप करता ही रहता है और कदम कदम पर झूठ बोलने को तैयार रहता है| Continue reading “लोभ और चंचलता” »

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सादि सान्त

सादि सान्त

सरीरं सादियं सनिधणं

शरीर सादि है और सान्त भी

इस जगत् के समस्त पदार्थ इन चार विभागों में विभाजित किये जा सकते हैं :-
1) अनादि अनन्त
2) अनादि सान्त
3) सादि अनन्त
4) सादि सान्त
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