अच्छंदा जे न भुंजंति, न से चाइ त्ति वुच्चई
जो पराधीन होने से भोग नहीं कर पाते, उन्हें त्यागी नहीं कहा जा सकता
एक और उदाहरण लीजिये| एक आदमी के पास भोजन सामग्री खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं और दूसरे के पास मिठाई खरीदने योग्य भरपूर पैसे हैं| पर उसने उपवास कर रखा है| भूखे दोनों है; फिर भी पहला व्यक्ति विवशता से भूखा है और दूसरा स्वेच्छासे; इसलिए दूसरा व्यक्ति ही त्यागी कहलायेगा, पहला नहीं|
इन दो उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है कि जो व्यक्ति स्वेच्छा से विषयभोगों का त्याग करता है, वही सच्चा त्यागी है| भोग-सामग्री न मिलने के कारण जो भोग नहीं करता, उसे त्यागी नहीं कहा जा सकता|
- दशवैकालिक सूत्र 2/2
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