श्री पार्श्वनाथ जिन स्तवन
(राग : राता जेवा फुलडाने)
लाखेणो सोहावे जिनजी फुलडानो हार, आणीने सोहावे जिनजी, आंगीओ जडाव; हो मोरा पासजी हो लाल, संकट छोडाव स्वामी विघ्न निवार. |
1 |
पद्मणी चाली पूजवाने, धरी सोल शणगार; पाये धमके घुघरी ने उरनो झणकार. |
मोरा…2 |
मेघ माळी देवता ने कीधो घनघोर, गाजे गगन वीजळी ने पाणी वरसे जोर. |
मोरा…3 |
ध्यान थकी नवि चूकीया, प्रभु पास जिणंद; देह कष्ट निवारवा, आव्या छे धरणेन्द्र. |
मोरा…4 |
गोडी पारस पूजो, जिम होवे रंगरेल, देखी मूरती पासजीनी, जाणी मोहनवेल. |
मोरा…5 |
ठमक ठमक चालती ने, घुघरीनो घमकार, तातो थेइ ताल बाजे देवतानी चाल. |
मोरा…6 |
केसर चंदन घसी घणा ने, कस्तुरी घनघोर; जे नर भावे पूजशे ते, उतरशे भवपार. |
मोरा…7 |
तुहि मारो साहिबो ने, तुंहि जीवन प्राण; तुने माने देवता ने, मोटा राणाराय. |
मोरा…8 |
पंडितमांहि शिरोमणी ने, कनकविमल गुरू धीर; चरण कमल सेवे सदाने केसर कवियण वीर. |
मोरा…9 |
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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