श्री पार्श्वनाथ जिन स्तवन
(राग : राता जेवा फुलडाने)
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भगवान पार्श्वनाथ – मोरा पासजी हो लाल
तारो मोहे स्वामी
श्री अभिनंदन जिन स्तवन
राग : बागेश्चरी
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जाग तुं जाग तुं आतमा माहरा
श्री ऋषभदेव (आदिनाथ) जिन स्तवन
राग : प्रभातीयु
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क्युं न हो सुनाइ स्वामी
श्री सुपार्श्वनाथ जिन स्तवन
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एक मुज विनती निसुणोज़
श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिन स्तवन
मुनिसुव्रत जिनराय,
एक मुज विनती निसुणोज़
आतमतत्त्व क्युं जाणुं जगद्गुरु,
एह विचार मुज कहीयो;
आतमतत्त्व जाण्या विण निरमल,
चित्तसमाधि नवि लहियो
धर्म जिनेसर गाउं रंगशुं
श्री धर्मनाथ जिन स्तवन
धर्म जिनेसर गाउं रंगशुं,
भंग न पडशो हो प्रीत जिनेश्वर;
दुजो मन मंदिर आणुं नहीं,
ए अम कुळवट रीत.
में कीनो नहीं तुम बीन और शुं
श्री सुविधिनाथ जिन स्तवन
राग : भजोरी प्यारो नमिजीणंद.. (भीमपलाश)
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सुविधि जिनेसर पाय नमीने
श्री सुविधिनाथ जिन स्तवन
राग : केदारो – ‘‘एम धन्नो धणने परचावे रे…’’ ए देशी
सुविधि जिनेसर पाय नमीने, शुभ करणी एम कीजे रे;
अति घणो ऊलट अंग धरीने, प्रह ऊठी पूजीजे रे.
अब मोहे तारो सुमति जिनेश
श्री सुमतिनाथ स्तवन
राग : वाघेश्वरी
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वीतराग…! तोरा पाय शरणं
श्री सुपार्श्वनाथ जिन स्तवन
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