करणसच्चे वट्टमाणे जीवे
जहावाई तहाकारी या वि भवइ
जहावाई तहाकारी या वि भवइ
करणसत्य में रहनेवाला जीव जैसा बोलता है, वैसा ही करता है
दुर्जन व्यक्ति के कार्य उसकी वाणी के अनुरूप नहीं होते और उसकी वाणी उसके विचारों के अनुरूप नहीं होती| वह कहता कुछ और है एवं करता कुछ और ही है| ऐसे व्यक्ति का भला कौन विश्वास करेगा?
इसके विपरीत सज्जन व्यक्ति सबके विश्वासपात्र होते हैं; क्यों कि वे जैसा कहते हैं; वैसा ही करते हैं| दूसरे शब्दों में वे ‘यथावादी तथाकारी’ होते हैं|
- उत्तराध्ययन सूत्र 26/51
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