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स्वाध्याय से लाभ

स्वाध्याय से लाभ

सज्झाएणं नाणावरणिज्जं कम्मं खवेइ

स्वाध्याय से ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय होता है

स्वाध्याय का साधारण अर्थ है – वीतरागप्रणीत शास्त्रों का अध्ययन करना| इससे उन कर्मों का क्षय होता है, जो ज्ञान पर आवरण डाले हुए हैं| ज्यों-ज्यों हम स्वाध्याय करते जायेंगे, त्यों-त्यों ज्ञानीवरणीय कर्म क्षीण होते जायेंगे और धीरे-धीरे हमें पूर्ण ज्ञान या सर्वज्ञत्व प्राप्त हो जायेगा|

स्वाध्याय का विशिष्ट अर्थ है – आत्मचिन्तन| ‘स्व’ (आत्मा) का अध्ययन ही स्वाध्याय है|

आत्मा का स्वभाव क्या है? स्वरूप क्या है? कर्म क्या है? कर्मों का स्वभाव क्या है? आत्मा के साथ कर्मों का संयोग कब हुआ? क्यों हुआ? क्या यह संयोग टूट भी सकता है? यदि टूट सकता है तो कैसे? क्षणिक सुख और शाश्‍वतसुख में क्या अन्तर है? दोनों सुखों में से किसी एक सुख को चुनने के लिए कहा जाये; तो हम किसे चुनेंगे? शाश्‍वत सुख का स्रोत क्या है? हमारे जीवन का प्रयोजन क्या है? आदि प्रश्‍नों पर चिन्तन करना ही स्वाध्याय है, जिससे ज्ञानावरणीय कर्म क्षीण होते हैं और जीव सर्वज्ञ बनता है|

- उत्तराध्ययन सूत्र 26/18

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1 Comment

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  1. renu rathod
    मार्च 21, 2016 #

    it was great getting knowledge about swadhyay,,but its incomplete,,i need reply to all the questions asked the in this topic.
    waiting for your reply

    thanx for great information.
    regards
    renu

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