तुट्टन्ति पावकम्माणि
नवं कम्ममकुव्वओ
नवं कम्ममकुव्वओ
जो नये कर्मों का बन्धन नहीं करता, उसके पूर्वसञ्चित पापकर्म भी नष्ट हो जाते हैं
ठीक यही बात आध्यात्मिक क्षेत्र में भी होती है| जो व्यक्ति नये-नये कर्मों का बन्धन नहीं करता-सँभल कर सावधानीपूर्वक ऐसा व्यवहार करता है – ऐसा आचरण करता है – ऐसी दिनचर्या बनाता है कि नये कर्मों का बंधन ही न हो; तो इसका परिणाम क्या होगा? यही कि उसके पूर्व संचित अर्थात् पूर्वजन्मोपार्जित कर्म भी धीरे-धीरे नष्ट होते जायेंगे और एक दिन ऐसा आयेगा कि वह सर्वथा कर्मरहित होकर सर्वज्ञ बनकर मोक्षलक्ष्मी की प्राप्ति कर लेगा|
- सूत्रकृतांग सूत्र 1/15/6
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