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एक ही गाथा से

एक ही गाथा से

सित्थेण दोणपागं, कविं च एक्काए गाहाए

एक कण से द्रोण-भर पाक की और एक गाथा से कवि की परीक्षा हो जाती है

वस्तु की परीक्षा उसके एक अंश को देखकर भी की जा सकती है| एक चावल को दबा कर यह जाना जा सकता है कि हँडिया भर चावल पके हैं या नहीं| इस जॉंच के लिए सब चावलों को दबाना आवश्यक नहीं है|

शास्त्रकारों ने द्रोण के दृष्टान्त से यह बात समझाने का प्रयास किया है| दोसौ-छप्पन मुट्ठियों के परिमाण को ‘आढ़क’ कहते हैं| ऐसे चार आढ़कों के परिमाण को ‘द्रोण’ कहते हैं| द्रोण भर पाक की परीक्षा एक कण को दबाने से हो जाती है|

ठीक इसी प्रकार किसी भी कवि की परीक्षा उसकी एक कविता से हो जाती है कि वह रचयिता कैसा है ? एक कविता के आनन्द का अनुभव करके यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अमुक कवि के सम्पूर्ण काव्य संग्रह में कितना रस निहित है?

- अनुयोगद्वार सूत्र 116

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