सित्थेण दोणपागं, कविं च एक्काए गाहाए
एक कण से द्रोण-भर पाक की और एक गाथा से कवि की परीक्षा हो जाती है
शास्त्रकारों ने द्रोण के दृष्टान्त से यह बात समझाने का प्रयास किया है| दोसौ-छप्पन मुट्ठियों के परिमाण को ‘आढ़क’ कहते हैं| ऐसे चार आढ़कों के परिमाण को ‘द्रोण’ कहते हैं| द्रोण भर पाक की परीक्षा एक कण को दबाने से हो जाती है|
ठीक इसी प्रकार किसी भी कवि की परीक्षा उसकी एक कविता से हो जाती है कि वह रचयिता कैसा है ? एक कविता के आनन्द का अनुभव करके यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अमुक कवि के सम्पूर्ण काव्य संग्रह में कितना रस निहित है?
- अनुयोगद्वार सूत्र 116
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