वीर्य को छिपाना नहीं चाहिये
जो बुद्धिमान हैं, उन्हें अपनी बुद्धि का उपयोग दूसरों के झगड़े मिटाने में करना चाहिये|
जो विद्वान हैं, उन्हें अपनी विद्वत्ता का प्रयोग दूसरों का अज्ञान मिटाने में करना चाहिये|
जो कलाकार हैं, उन्हें अपनी कला का प्रयोग दूसरों का पवित्र आनन्द बढ़ाने में करना चाहिये|
जो धनवान हैं, उन्हें अपने धन का उपयोग निर्धनों की सहायता में करना चाहिये|
जो कानून के पण्डित हैं – वकील हैं, उन्हें अपनी वकालत का प्रयोग दूसरों को झूठे आरोपों से मुक्त कराने में करना चाहिये|
जो वीर हैं, उन्हें अपनी वीरता का प्रयोग दूसरों को साहसी बनाने में करना चाहिये|
आशय यह है कि सब लोग दूसरों की भलाई में अपनी शक्ति, बुद्धि, विद्या, कला, सम्पत्ति आदि का उपयोग करते रहें; कभी अपने वीर्य पराक्रम को न छिपायें|
- आचारांग सूत्र 1/5/3
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