1 0 Tag Archives: जैन कहानियाँ
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आरंभ से बच्चों में संस्कार डालें

आरंभ से बच्चों में संस्कार डालें
1. शरीर और वस्त्रों की सफाई का पूरा ध्यान रखना|

2. भोजन से पहले और बाद में मुँह हाथ साफ करना|

3. पेट, दांतों, बालों तथा हाथों को सदा साफ रखना| Continue reading “आरंभ से बच्चों में संस्कार डालें” »

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शेठ मोतीषा

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64 कला

64 कला
व्यवहारिक ४४ कलाएँ -

1. ध्यान, प्राणायाम, आसन आदि की विधि
2. हाथी, घोड़ा, रथ आदि चलाना
3. मिट्टी और कांच के बर्तनों को साफ रखना
4. लकड़ी के सामान पर रंग-रोगन सफाई करना
5. धातु के बर्तनों को साफ करना और उन पर पालिश करना
6. चित्र बनाना
7. तालाब, बावड़ी, कमान आदि बनाना Continue reading “64 कला” »

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सम्राट प्रजापल के प्रश्न

सम्राट प्रजापल के प्रश्न
प्रश्‍न – बिना आग के कौन जलाती है ?
उत्तर – ईर्ष्या, तृष्णा, चिन्ता, कर्जदारी, नव-जवान कुंआरी लड़की, विधवा बहु-बेटी| Continue reading “सम्राट प्रजापल के प्रश्न” »

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श्री प्रसन्न्चंद्र राजर्श्री

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मां की, बेटी को सीख

मां की, बेटी को सीख
रानी ने कहा, मदनसेना ! दाम्पत्य जीवन की दिव्यता-शोभा तभी है, जब कि पति-पत्नी सत्ता का मोह छोड़कर परस्पर सेवाभाव, त्यागवृत्ति को अपनाए| अब तुम पराये घर जा रही हो| ससुराल में देव, गुरु, धर्म, स्वधर्मी बन्धु, देवर जेठ नणंद-भोजाई, सास-ससुर, दीन-दु:खी, रोगी और अपने अड़ोस-पड़ोस की सेवा का सारा भार तुम्हारें पर है| इसे ठीक तरह से निभाना| Continue reading “मां की, बेटी को सीख” »

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दैनिक-चर्या का प्रभाव

दैनिक चर्या का प्रभाव
हम बच्चों को अपने अनुशासन में रखना चाहते हैं, तो हमें भी अपने दैनिक कार्यक्रम व्यवस्थित और यथा समय करना आवश्यक है| आपके नियमित आचरण से बच्चों को सुन्दर प्रेरणा मिलती है| Continue reading “दैनिक-चर्या का प्रभाव” »

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सफलता का गुप्त मंत्र

सफलता का गुप्त मंत्र
मैं महान हूँ, अब तक मैं बाह्य जड़ पदार्थो में लुभाकर सुख की खोज करता रहा किन्तु कहीं शान्ति न मिली, वास्तव में सुख है आत्मा में| सम्पूर्ण सुखों का केन्द्र है आत्मा| मैं प्रेमी हूँ, प्रेम ही मेरा जीवन है, मैं प्राणी मात्र की सेवा का प्रेमी हूँ| मैं सुखी हूँ| सफलता मेरे दाये बांये चलती है| Continue reading “सफलता का गुप्त मंत्र” »

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अपने धड़कते दिल से पूछो

अपने धड़कते दिल से पूछो
जिंदगी थोड़ी है, समय उससे भी कम| जैसे जैसे समय बीतता है, वैसे वैसे हम मृत्यु के निकट पहुँचते जाते हैं| आँखे खोल कर श्मशान की तरफ जाते हुए मुरदों की तरफ देखो और सोचो कि एक दिन हमारी भी यही हालत होगी| फिर क्यों न हम अनंत भव भटकने के बाद प्राप्त अति दुर्लभ अनमोल मानव भव को सफल बना ले| Continue reading “अपने धड़कते दिल से पूछो” »

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उपाध्याय श्री यशोविजयजी

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