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धर्माचार्य को वन्दन
जत्थेव धम्मायरियं पासेज्जा,
तत्थेव वंदिज्जा नमंसिज्जा
जहॉं कहीं भी धर्माचार्य दिखाई दें, वहीं उन्हे वन्दना नमस्कार करना चाहिये
आचारकी प्रेरणा देने वाले आचार्य हैं और यह प्रेरणा जिन्हें प्राप्त होती है, उनके द्वारा वे प्रणम्य हैं|
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