श्री ऋषभदेव जिन स्तवन
राग : परदीप
तुम दरिशन भले पायो,
प्रथम जिन! तुम दरिशन भले पायो;
नाभि नरेसर नंदन निरूपम,
माता मरूदेवी जायो.
…प्रथम. १
आज अमीरस जलधर वूठो,
मानुं गंगाजले नाह्यो;
सुरतरू सुरमणि प्रमुख अनुपम,
ते सवि आज में पायो.
…प्रथम. २
युगला धर्म निवारण तारण,
जग जस मंडप छायो;
प्रभु तुज शासनवासन समकित,
अंतर वैरी हटायो.
…प्रथम. ३
कुदेव कुगुरू कुधर्मनी वासे,
मिथ्यामतमें ङ्गसायो;
में प्रभु आजसे निश्चिय कीनो,
सवि मिथ्यात्व गवायो.
…प्रथम. ४
बेर बेर करुं बिनती इतनी,
तुम सेवारस पायो;
ज्ञानविमल प्रभु साहिब नजरे,
समकित पूरण सवायो.
…प्रथम. ५
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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