श्री सीमंधर स्वामी जिन स्तवन
राग : माढ.., नेमि जिन प्यारा…
श्री सीमंधर स्वामी, मुक्तिना गामी, दीठे परमानंद,
प्रभु सुमति आपो, कुमति कापो, टाळो भवभयङ्गंद,
कर्म अरिगण दूर करीने,
तोडो भवतरू कंद रे.
चोत्रीश अतिशय शोभतां रे, पांत्रीश वाणी रसाळ,
अष्ट प्रतिहार्य दीपतां रे,
बेठी पर्षदा बार रे.
महागोप महामाहण कहीये, निर्यामक सत्थवाह,
दोष अढारने दूर करीने,
भवजल तारण नावे रे.
एकवार दरिशन दीजीए रे दासनी सुणी अरदास,
गुण अवगुण नवि लेखीये रे,
गिरूआनो आधार रे.
अगणित शंकाए हुं भर्यो रे, कोण करे तस दूर,
ज्ञानी तमे तो दूर रह्यो रे,
हुं पड्यो भवकूप रे.
जो होवे मुज पांखडी तो, आवत आप हजुर,
ए लब्धि मुज सांपडे रे,
न रहुं तुमथी दूर रे.
शासन भक्त जे सुरवरा रे, विनवुं शीष नमाय,
श्री सीमंधर स्वामीना रे,
चरणकमल भेटाव रे.
धन्य महाविदेहना जीवने रे, सदा रहे प्रभु पास,
हुं निर्भागी भरते रह्यो रे,
शा कीधां में पाप रे.
अरिहंत पद सेवा थकी रे, देवपालादिक सिद्ध,
हुं पण मांगु एटलुं रे,
सौभाग्य पद समृद्ध रे.
Excellent.Is this available in Hindi.? I opted for Hindi mail.Thanks and regards.
Thank you for the comment.
You can view the stavan in Hindi by visiting http://tattvagyan.com/hi/jain-stavan/sri-simandhara-swami-muktina-gami/