श्री सुमतिनाथ स्तवन
राग : वाघेश्वरी
अब मोहे तारो सुमति जिनेश,
रंग राग इस जगका छोडी,
ध्यान धरूं हंमेश.
…अब.१
तीर्थ उमेटामंडन स्वामी,
टाळो सघळो कलेश.
….अब.२
रोम रोम प्रभु भक्तिरूपी,
प्रगट्यो ज्ञान दिनेश.
…अब.३
गुईश अनेरा तुमसे छोटा,
तुम ही देव महेश.
…अब.४
आत्म कमलमां लब्धि दाता,
हर दो दु:ख अशेष.
…अब.५
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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